अहिंसा का पुजारी

भारत के महावीर, बुद्ध और गांधी के अहिंसा के सिद्धान्त को पालनेवालों की वीरता और दृढ़ता ! हम भी इससे प्रेरणा लेकर अहिंसक बनें।

अहिंसा का पुजारी

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अहिंसा का पुजारी


संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) और हरियाणा की सीमा के पास, दिल्ली से लगभग १२० कि.मी. उत्तर की ओर सहारनपुर नाम का नगर है। वहाँ के एक प्रसिद्ध जमींदार लाला जम्बूप्रसादजी के जीबनकी यह घटना है।

वर्तमान शताब्दी के प्रथम दशक का यह समय, तब अंग्रेज अधिकारीयों की खूब धाक। वहाँ के अंग्रेज कलेक्टर ने लालाजी से शिकार करने के लिए उनका हाथी माँगा। लालाजीने कहा 'साहब, शिकार के लिए मैं हाथी दू तो मेरा अहिंसा धर्म लञ्जित हो, ऐसे भारी हिंसात्मक कार्य के लिए मेरा हाथी आपको नहीं मिल सकेगा।' उस समय में बड़े अंग्रेज अधिकारी का अपमान अर्थात् सर्वनाश को निमंत्रण। इस घटनाके बाद कुछ महीनों तक उस कलेक्टर ने अनेक प्रकारकी धमकियों द्वारा लालाजी को भय दिखाया। अन्त में जब जाना कि लालाजी अपने निश्चय से डिगनेवाले नहीं हैं तब कलेक्टर स्वयं ही लालाजी के पास गये और कहा : 'कहिए सेठजी, मेरी माँग के सम्बन्ध में क्या विचार किया? मेरी माँग नहीं स्वीकारेंगे तो उसका क्या परिणाम होगा इसका आपको पता है?'

लालाजी ने कहा: 'साहब, जो मैं दोषी ठहरूँ तो आप मुझे जेल में डलवायेंगे, कदाचित् यह सब धन सम्पत्ति जप्त करवायेंगे अथवा अधिक से अधिक फाँसी की सजा दिलवायेंगे, बस इतना ही न? पर मेरा अहिंसाधर्म तो बच जायेगा न? मेरे लिए इससे विशेष कुछ नहीं।'

ऐसा निर्भय और अडिग विश्वासपूर्ण उत्तर सुनकर कलेक्टर खूब प्रभावित हुए और लालाजीकी पीठ थपेड़कर उन्हें धन्यवाद दिया।

देखो ! भारत के महावीर, बुद्ध और गांधी के अहिंसा के सिद्धान्त को पालनेवालों की वीरता और दृढ़ता ! हम भी इससे प्रेरणा लेकर अहिंसक बनें।

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