श्राविका जयंती के प्रश्नोत्तर
वैशाली से विहार कर भगवान महावीर वत्सदेश की राजधानी कौशाम्बी पधारे। कौशाम्बी में श्राविका जयंती ने प्रभु की देशना सुनी और भगवान से प्रश्नोत्तर किए।
जयंती का पहला प्रश्न था - जीव भारी और हल्का कैसे होता है?
उत्तर में भगवान ने कहा - जो जीव 18 पापों में लिप्त रहता है वह भारी होकर अनंत काल तक संसार में परिभ्रमण करता है। इन पापों से विरति या निवृत्ति से जीव हल्का होता है और संसार-सागर को पार करता है।
जयंती का दूसरा प्रश्न था - मोक्ष की योग्यता जीव में स्वभावत: होती है अथवा परिणामत:?
भगवान ने कहा - मोक्ष की योग्यता स्वभावत: होती है. परिणामत: नहीं।
जयंती का अगला प्रश्न था - क्या सब भव-सिद्धिक मोक्ष पाने वाले हैं?
भगवान ने कहा - हाँ, सब भव-सिद्धिक मोक्ष जायेंगे।
चौथा प्रश्न था यदि सब भव-सिद्धिक मोक्ष जायेंगे तो क्या संसार भव्य जीवों से खाली हो जायेगा?
भगवान का उत्तर था - नहीं, जीव अनंत है। भव-सिद्धिक जीव निरंतर मुक्त होते रहेंगे तो भी संसार भव्य जीवों से कभी खाली नहीं होगा।
जयंती के और भी प्रश्नों के उत्तर में भगवान ने कहा कि जो लोग अधर्म के प्रेमी, अधर्म के प्रचारक और अधर्माचरण वाले हों उनका सोते रहना अच्छा है, उनके सोते रहने से संसार में अधर्म की वृद्धि नहीं होगी। उसी प्रकार भगवान ने यह भी कहा कि शक्ति, सम्पत्ति और साधनों की अच्छाई या बुराई उनके सदुपयोग या दुरूपयोग पर निर्भर है। भगवान के युक्तिपरक उत्तरों से संतुष्ट हो उपासिका जयंती ने संयम-ग्रहण किया और आत्म-कल्याण तथा परकल्याण का मार्ग अपनाया।