प्रश्न- कुलदेवी या कुलदेवता की सांसारिक कार्यों में सहायता प्राप्त करने से सम्यक्त्व में दोष लगता है अथवा नहीं?
उत्तर- कुलदेवी या कुलदेवता की सांसारिक कार्यों में सहायता प्राप्त करने में यद्यपि सम्यक्त्व में स्पष्ट रूप से कोई दोष नहीं बताया, तथापि यह प्रवृत्ति देव सहायता रूप होने से प्रशंसनीय एवं उचित नहीं कही जाती है। देवादि की सहायता नहीं चाहना, यह श्रावक की उच्च कोटि है। कई बार कमजोर श्रावकों की भक्ति धर्म से भी अधिक इन कुलदेवी आदि पर हो जाती है। इत्यादि कारणों से उसकी समकित शिथिल एवं नष्ट तक हो सकती है। जैसे औषधोपचार से असाता का उदय रूककर साता की उदीरणा हो जाती है, वैसे ही देव भी साता असाता की उदीरणा में निमित्त बन सकते हैं। शरीर में रोगांतकों का प्रवेश भी करा सकते हैं एवं शरीर से रोगांतक निकाल भी सकते हैं। देव आराधना के लिए अट्ठम तप की आराधना करते समय कृष्ण एवं अभयकुमार के समकिती होने में बाधा नहीं आती है।