✨एक चोर जो बना साधक! महामंत्र ने बदल दी जिंदगी! ✨
कथाओं में प्रसिद्ध अंजन चोर की कहानी सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि विश्वास और वैराग्य की अविश्वसनीय शक्ति का प्रमाण है।
➡️ शुरुआत: अंजन चोर (असली नाम ललितांग देव) राजगृही नगरी का एक शातिर चोर था, जो प्रधान नर्तकी मणिकांचना के प्रेम में इतना अंधा था कि उसके एक इशारे पर रानी कनकवती का बहुमूल्य हार 'ज्योतिप्रभा' चुराने निकल पड़ा। प्रेम में आसक्त व्यक्ति का विवेक कैसे नष्ट होता है, यह कहानी इसका जीवंत उदाहरण है।
➡️ जीवन का टर्निंग पॉइंट: हार चुराकर भागते समय, उसका मंत्रित अंजन (काजल) निष्प्रभावी हो गया और वह पकड़ा जाने वाला था। जान बचाने के लिए वह एक श्मशान में पहुँचा। वहाँ उसने वारिषेण नामक एक भयभीत साधक को 108 रस्सियों के जाल में फँसकर णमोकार मंत्र सिद्ध करने की कोशिश करते देखा।
➡️ विश्वास की शक्ति: डरपोक साधक से मंत्र सीखने के बाद, अंजन चोर ने कहा: "मुझे मरने का भी डर नहीं है। मैं यदि मरूँ भी तो अच्छे कार्य में ही मरना चाहता हूँ।"
पूरे विश्वास और निर्भयता के साथ उसने णमोकार मंत्र का जाप शुरू किया। जैसे ही 108वीं रस्सी कटी, वह नीचे गिरने से पहले ही आकाश-गामिनी विद्या ने उसे ऊपर उठा लिया!
➡️ परिवर्तन और मोक्ष: इस अलौकिक अनुभव ने अंजन चोर को ऐसी लोकोत्तर मानसिक शांति दी कि उसने तुरंत सांसारिक मोह त्याग दिया। उसने सुमेरू पर्वत पर जाकर दीक्षा ली, कठिन तपश्चर्या की और अंततः अष्टकर्मों का नाश करके मोक्ष प्राप्त किया।
🔥 सीख:
यह कहानी बताती है कि आप जीवन में कितने ही पतित क्यों न हों, यदि आप पूरी श्रद्धा, निर्भयता और विश्वास के साथ किसी महामंत्र का आश्रय लेते हैं, तो आपका जीवन बदल सकता है।
णमोकार मंत्र की शक्ति ने एक चोर को मोक्ष के मार्ग पर पहुँचा दिया!
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