प्रभावना और प्रभावक

जैन धर्म की उन्नति एवं प्रचार के लिए प्रयत्न करना 'प्रभावना' है और जैन धर्म की उन्नति करने वाला प्रभावक कहलाता है।

प्रभावना और प्रभावक

post

व्यवहार सम्यक्त्व के ६७ बोल

प्रभावना-8

जैन धर्म की उन्नति एवं प्रचार के लिए प्रयत्न करना 'प्रभावना' है और जैन धर्म की उन्नति करने वाला प्रभावक कहलाता है।


1. प्रवचन प्रभावक - जिस काल में जितने सूत्र उपलब्ध हों, उनका ज्ञान बढ़ाकर धर्म को (दीपावे) चमकावें।
2. धर्मकथा प्रभावक - धर्म कथा सुनाने में चतुर होकर धर्म को दीपावें।
3. वादी प्रभावक - प्रत्यक्ष हेतु दृष्टान्त पूर्वक अन्यमतियों से वाद करके धर्म को दीपाने में चतुर होवें।
4. नैमित्तिक प्रभावक - निमित्त ज्ञान से भूत, भविष्य और वर्तमान काल की बात जानने वाला होकर धर्म को चमकाएँ।
5. तपस्वी प्रभावक - कठिन तपस्या करके धर्म की उन्नति करने वाले होवें।
6. विद्यावान् प्रभावक - अनेक विद्याओं का जानकार होकर धर्म की उन्नति करें-चमकायें।
7. प्रकट व्रताचारी - प्रसिद्ध व्रत रूप चार स्कन्ध को धारण करने वाले होवें। ब्रह्मचर्य व्रत रूप शील स्कन्ध, रात्रि चौविहार, हरी सब्जी का त्याग, सचित्त जल के त्याग रूप महान् व्रत जीवन पर्यन्त के लिये धारण करके धर्म (को दीपावें) उन्नति करें।
8. कवि प्रभावक - शास्त्र के अनुसार कविता रचकर धर्म की उन्नति करें।

You might also like!