व्यवहार सम्यक्त्व के 67 बोल - विनय-10
(1) श्रद्धान-4, (2) लिंग-3, (3) विनय-10, (4) शुद्धि-3, (5) लक्षण-5, (6) दूषण-5, (7) भूषण-5, (8) प्रभावना-8, (9) आगार-6, (10) यतना-6, (11) भावना-6, (12) स्थानक-6.
विनय-10
विनय - श्रद्धा के कारण पैदा होने वाली हृदय की कोमल वृत्तियों को 'विनय' कहते हैं।
1. अरिहन्त भगवान् की विनय भक्ति करना।
2. सिद्ध भगवान् की विनय भक्ति करना।
3. आचार्य महाराज की विनय भक्ति करना।
4. उपाध्याय महाराज की विनय भक्ति करना।
5. स्थविर महाराज की विनय भक्ति करना।
6. कुल अर्थात् एक आचार्य के शिष्य समुदाय की विनय भक्ति करना।
7. गण अर्थात् अनेक आचार्यों के शिष्य समुदायों की विनय भक्ति करना।
8. चतुर्विध संघ की विनय भक्ति करना।
9. साधर्मी की विनय भक्ति करना।
10. क्रियावान की विनय भक्ति करना।