मौन एकादशी तप
बारह महीनो में अगहन सुदी ग्यारस का अपना अलग ही महत्व है। यह पांच कल्याण का दिन बहुत ही शुभ श्रेष्ठ व पवित्र माना जाता है। (१) अठारहवे तीर्थकर भगवन अरनाथ ने चक्रवती सम्राट का अपार वैभव त्यागकर दीक्षा ग्रहण की। (२) उन्नीसवें तीर्थकर मल्लिनाथ भगवन का जन्म कल्याणक व दीक्षा कल्याणक एवं केवलज्ञान तीनो कल्याणक संपन्न हुए (३) इक्कीसवें तीर्थकर भगवान नमिनाथ को केवलज्ञान भी अगहन सुदी ११ के दिन प्राप्त हुआ।
इस प्रकार वर्तमान अवसर्पिणी काल के तीन तीर्थकारों के ये पाँच कल्याणक इसी (सुदी ११) एकादशी को सम्पन्न हुए। जम्बूद्वीप का एक भरत, एक ऐरावत। घातकी खंड के दो भरत, दो एरावत। अर्ध पुष्कर के दो भरत, दो एरावत क्षेत्र। एसे कुल १० क्षेत्रों के वर्तमान चौवीसी के ५-५ कल्याणकों के गुणाकार से यह संख्या ५० होती है। अतीत की चौवीसी के ५०, वर्तमान चौवीसी के ५० व आने वाली चौवीसी के ५० को मिलाकर कुल कल्याणकों की संख्या १५० हो जाती है। अनन्त पुण्यों के पुज से तीर्थकर भगवान के कल्याणकों से जुड़ी होने से इस एकादशी को लोक कल्याणकारी माना गया है।
एक में पाँच कल्याण हो, ऐसी अन्य कोई तिथि नहीं है। एक मे चार कल्याणक हो. ऐसी भी कोई तिथि नहीं है। एक में तीन कल्याणक हो ऐसी दो तिथियों हैं। चैत्र सुद में पंचमी तथा वैशाख वद में चौदस। अतः कल्याणक आश्रित इस तिथि का महत्त्व सर्वाधिक है।