व्यवहार सम्यक्त्व के 67 बोल
1) श्रद्धान-4, (2) लिंग-3, (3) विनय-10, (4) शुद्धि-3, (5) लक्षण-5, (6) दूषण-5, (7) भूषण-5, (8) प्रभावना-8, (9) आगार-6, (10) यतना-6, (11) भावना-6, (12) स्थानक-6.
भूषण-5
जिन प्रवृत्तियों से श्रद्धा में अधिक विशिष्टता आती हो, उन्हें भूषण कहते हैं।
1. जिनशासन में निपुण व कुशल होवें।
2. जिनशासन की प्रभावना करें अर्थात् जिनशासन के गुणों को दीपावें व सुसाधुओं की सेवा-भक्ति करें।
3. चार तीर्थ की सेवा करें।
4. शिथिल पुरुषों को जो धर्म में अस्थिर हों, उन्हें उपदेशादि द्वारा जिन धर्म में स्थिर करें व अन्य मतावलम्बियों को जिन धर्म की महिमा बतलाकर इसके मार्ग की ओर लगावें।
5. अरिहन्त, साधु तथा गुणी पुरुषों का आदर सत्कार करें और उनकी विनय भक्ति करें।