व्यवहार सम्यक्त्व के 67 बोल आगार-6
आगार
व्रत अंगीकार करते समय रखी जाने वाली छूट को आगार कहते हैं।
1. राजाभियोग- राजा की पराधीनता से यदि समकितधारी श्रावक को अनिच्छा पूर्वक अन्यतीर्थिक तथा उनके माने हुए देवादि को वंदना नमस्कार करना पड़े तो श्रावक सम्यक्त्व व्रत का अतिक्रमण नहीं करता।
2. गणाभियोग- गण अर्थात् बहुजन समुदाय के आग्रह से अनिच्छा पूर्वक .............
3. बलाभियोग- बलवान् पुरुष द्वारा विवश किये जाने पर अनिच्छापूर्वक ..............
4. देवाभियोग- देवता द्वारा बाध्य किये जाने पर अनिच्छापूर्वक ..............
5. गुरु-निग्रह- माता, पिता, गुरुजन आदि के आग्रह वश अनिच्छापूर्वक .............
6. वृत्तिकान्तार- अटवी (जंगल) में जिस प्रकार आजीविका प्राप्त करना कठिन है, उसी प्रकार क्षेत्र और काल यदि आजीविका के प्रतिकूल हो जाएँ और जीवन-निर्वाह होना कठिन हो जाए तब ऐसी दशा में अनिच्छापूर्वक अन्यतीर्थिक तथा उनके माने हुए देवादि को यदि वन्दना नमस्कार करना पड़े तो श्रावक सम्यक्त्व व्रत का अतिक्रमण नहीं करता।