विकलेन्द्रिय के ६ भेद
बेइन्द्रिय के दो भेद- पर्याप्त और अपर्याप्त । बेइन्द्रिय ( द्वीन्द्रिय)- जिसके स्पर्शन इन्द्रिय और रसना इन्द्रिय, ये दो इन्द्रिय हों, उसे बेइन्द्रिय कहते हैं। बेइन्द्रिय के दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त। शंख, कोडी, शीप, जोक (जलोक), लट, कृमि, कोड़ा, खपरीया, अलसिया, चूरणिया, नाहरू (वाला) आदि बेइन्द्रिय के अनेक प्रकार हैं।
तेइन्द्रिय के दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त। तेइन्द्रिय (त्रीन्द्रिय)- जिसके स्पर्शन, रसना और प्राण- ये तीन इन्द्रिय हों, उसे तेइन्द्रिय कहते हैं। तेइन्द्रिय के दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त। जूँ, लीख, कीड़ी, मकोड़ी, कुंथुवा, कानसलावा, खटमल, धनेरिया, उदई आदि तेइन्द्रिय जीवों के अनेक प्रकार हैं।
चौरेन्द्रिय के दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त। चौरेन्द्रिय (चतुरिन्द्रिय)- जिसके स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु- ये चार इन्द्रिय हों, उसे चौरेन्द्रिय कहते हैं। चौरेन्द्रिय के दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त। मक्खी, मच्छर, टीड, पतंगिया, करोड़िया, कसारी, भँवरा, बिच्छू आदि चौरेन्द्रिय जीव के अनेक प्रकार हैं।