तिर्यंच के अड़तालीस भेद
एकेन्द्रिय के 22, तीन विकलेन्द्रिय के 6, तिर्यंच पंचेन्द्रिय के 20, कुल मिलाकर तिर्यंच के अड़तालीस भेद हुए।
एकेन्द्रिय के 22 भेद :
पृथ्वीकाय 4 भेद : - पृथ्वीकाय के दो भेद - सूक्ष्म और बादर, इन दोनों के दो-दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त। इस तरह पृथ्वीकाय के चार भेद हुए।
अप्काय 4 भेद : अप्काय के दो भेद - सूक्ष्म और बादर । पर्याप्त अपर्याप्त के भेद से दोनों के दो-दो भेद होते हैं। इस तरह अप्काय के चार भेद हुए।
तेऊकाय 4 भेद : तेऊकाय के दो भेद- सूक्ष्म और बादर। दोनों के पर्याप्त अपर्याप्त के भेद से दो-दो भेद होते हैं। इस तरह तेऊकाय के चार भेद हुए।
वायुकाय 4 भेद : वायुकाय के दो भेद - सूक्ष्म और बादर । दोनों के पर्याप्त अपर्याप्त के भेद से दो-दो भेद होते हैं। इस तरह वायुकाय के चार भेद होते हैं।
वनस्पतिकाय 6 भेद : वनस्पतिकाय के छह भेद - मुख्य भेद २- सूक्ष्म और बादर । बादर वनस्पतिकाय के दो भेद - प्रत्येक और साधारण । इन तीनों सूक्ष्म, प्रत्येक और साधारण के पर्याप्त अपर्याप्त के दो-दो भेद होते हैं। इस प्रकार वनस्पतिकाय के छः भेद हुए।
बेइन्द्रिय के 2 भेद - बेइन्द्रिय के दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त।
तेइन्द्रिय के 2 भेद - तेइन्द्रिय के दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त।
चौरेन्द्रिय के 2 भेद - चौरेन्द्रिय के दो भेद - पर्याप्त और अपर्याप्त।
तिर्यंच पंचेन्द्रिय के 20 भेद - तिर्यंच पंचेन्द्रिय के पाँच भेद- जलचर, स्थलचर, खेचर, उरपरिसर्प और भुजपरिसर्प, इनके सन्नी और असन्नी के भेद से दस भेद होते हैं। इन दस के पर्याप्त अपर्याप्त के भेद से बीस भेद होते हैं।