सव्वे पाणा पिआउआ,
सुहसाया दुक्खपडिकूला,
अप्पियवहा पियजीविणो,
जीविउकामा
सव्वेसि जीवियं पियं
नाइवाएज्ज कंचणं ।
सब प्राणियों को अपनी जिन्दगी प्यारी है। सुख सब को अच्छा लगता है और दुःख बुरा वध सब को अप्रिय है, और जीवन प्रिय। सब प्राणी जीना चाहते हैं, कुछ भी हो, सब को जीवन प्रिय है। अतः किसी भी प्राणी की हिंसा न करो।
श्री आचारांग सूत्र