सुविचार - श्री उत्तराध्ययन सूत्र - 7/16

मनुष्य जीवन मूलधन है। देवगति उसमें लाभ रूप है। मूलधन के नाश होने पर नरक, तिर्यचगति रूप हानि होती है।

सुविचार - श्री उत्तराध्ययन सूत्र - 7/16

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माणुसत्तं भवे मूलं, लाभो देवगई भवे ।

मूलच्छेएण जीवाणं, णरगतिरिक्खत्तणं धुवं ।।


मनुष्य जीवन मूलधन है। देवगति उसमें लाभ रूप है। मूलधन के नाश होने पर नरक, तिर्यचगति रूप हानि होती है ।


श्री उत्तराध्ययन सूत्र

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