पच्चीस बोल का थोकड़ा
दूसरे बोले जाति पाँच - 1. एकेन्द्रिय, 2. बेइन्द्रिय, 3. तेइन्द्रिय, 4. चउरिन्द्रिय 5.पंचेन्द्रिय।
आधार - पन्नवणा 23 वाँ पद, उद्देशक दूसरा।
जाति - इन्द्रियों के आधार पर जीवों के बनाये हुए समूह को 'जाति' कहते हैं। अर्थात् समान इन्द्रियों वाले जीवों के समूह को 'जाति' कहते हैं। जीवों की मूल जातियाँ पाँच हैं। जैसे - एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय।
एकेन्द्रिय- जिनके केवल एक स्पर्शन इन्द्रिय ही हो, ऐसे जीवों के समूह को 'एकेन्द्रिय' जाति कहते हैं। एकेन्द्रिय में पृथ्वी, अप, तेजस, वायु और बनस्पतिकाय के सभी जीवों को समावेश हो जाता है।
बेइन्द्रिय- जिनके स्पर्शन और रसना, ये दो इन्द्रियाँ हों, ऐसे जीवों के समूह को 'बेइन्द्रिय' जाति कहते हैं। जैसे कृमि, लट, शंखा, सीप, नारू, अलसिया आदि।
तेइन्द्रिय- जिनके स्पर्शन, रसना और घ्राण, ये तीनों इन्द्रियाँ हों, ऐसे जीवों के समूह को तेइन्द्रिय' जाति कहते हैं। जैसे चींटी, खटमल, जूलीखा, सुलसुली, इली, कुंथुआ आदि।
चउरिन्द्रिय-जिनके स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु, ये चारों इन्द्रियाँ हों, उन जीवों के समूह को 'चउरिन्द्रिय' जाति कहते हैं। जैसे-मक्खी , मच्छर, बिच्छु, भंवरा, कसारी आदि।
पंचेन्द्रिय - जिनके स्पर्शन, रसना, घाण, चक्षु और श्रोत्र, ये पाँचों इन्द्रियाँ हों, ऐसे जीवों के समूह को 'पंचेन्द्रिय' जाति कहते हैं। जैसे- पशु, पक्षी, मछली, सर्प, मनुष्य, नारक, देवता आदि।