पच्चीस बोल-सोलहवें बोले दण्डक चौबीस

दण्डक-अपने किये हुए शुभाशुभ कर्मों का फल भोगने के स्थान को 'दण्डक' कहते हैं। जहाँ पर जीवों को दण्डित किया जाता हो, उसे भी दण्डक कहते हैं। दण्ड को भोगने के स्थानों की अपेक्षा से दण्डक चौबीस प्रकार के होते हैं। इन चौबीस दण्डकों में सभी संसारी जीवों का समावेश हो जाता है।

पच्चीस बोल-सोलहवें बोले दण्डक चौबीस

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पच्चीस बोल - सोलहवें बोले दण्डक चौबीस

सोलहवें बोले दण्डक चौबीस -

1. सात नारकी का एक दण्डक - सात नारकी के नाम - घम्मा, वंसा, सीला, अंजणा, रिट्ठा, मघा और माघवई। इनके गोत्र - रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, वालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा और तमतमा प्रभा।

2. 2-11. दस भवनपतियों के दस दण्डक। उनके नाम- 1. असुरकुमार, 2. नागकुमार, 3. सुपर्णकुमार, 4.विद्युतकुमार, 5, अग्निकुमार, 6. द्वीपकुमार, 7. उदधिकुमार, 8. दिशाकुमार, 9. पवनकुमार, 10. स्तनितकुमार।

3.12-16, पाँच स्थावरों (पृथ्वी, अप, तेउ, वायु, वनस्पति काय) के पाँच दण्डक।

4. 17-19. तीन विकलेन्द्रियों (बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय) के तीन दण्डक।

5. 20. तिर्यंच पंचेन्द्रिय का एक दण्डक।

6. 21. मनुष्य का एक दण्डक।

7. 22. वाणव्यन्तर देवों का एक दण्डक।

8. 23. ज्योतिषी देवों का एक दण्डक।

9. 24. वैमानिक देवों का एक दण्डक।


• आधार- भगवती सूत्र शतक 24
दण्डक-अपने किये हुए शुभाशुभ कर्मों का फल भोगने के स्थान को 'दण्डक' कहते हैं। जहाँ पर जीवों को दण्डित किया जाता हो, उसे भी दण्डक कहते हैं। दण्ड को भोगने के स्थानों की अपेक्षा से दण्डक चौबीस प्रकार के होते हैं। इन चौबीस दण्डकों में सभी संसारी जीवों का समावेश हो जाता है।

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