जीव तत्त्व
निश्चय में जीव का भेद एक ही है। व्यवहार में जीवों के दो से चौदह तक तथा 563 भेद होते हैं।
जीव का एक भेद- उपयोग लक्षण। जीव के दो भेद- त्रस और स्थावर। जीव के तीन भेदस्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसकवेद। जीव के चार भेद- नारकी, तिर्यंच, मनुष्य और देवता। जीव के पाँच भेद- एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय। जीव के छः भेद- पृथ्वीकाय, अप्काय, तेऊकाय (तेजस्काय), वायुकाय, वनस्पतिकाय और त्रसकाय। जीव के सात भेद- नरक, देव, देवी, तिर्यंच, तिर्यचिणी मनुष्य और मनुष्यिणी। जीव के आठ भेद- चार गति- नरक, तिर्यच, मनुष्य, देव का पर्याप्त और अपर्याप्त। जीव के नौ भेद- पाँच स्थावर- पृथ्वीकाय, अप्काय, तेऊकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और चार त्रस- बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिया जीव के दस भेदएकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय, इन पाँच के पर्याप्त और अपर्याप्त। जीव के ग्यारह भेद- एकेन्द्रिय आदि पाँच के पर्याप्त और अपर्याप्त ये दस और ग्यारहवाँ अणिंदिया (अनिन्द्रिय)। जीव के बारह भेद- पृथ्वीकाय आदि छह का पर्याप्त और अपर्याप्त। जीव के तेरह भेद- छह काय का पर्याप्त और अपर्याप्त ये बारह और तेरहवाँ अकाइया (सिद्ध भगवान्)। जीव के चौदह भेद- सूक्ष्म एकेन्द्रिय, बादर एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, असंज्ञी पंचेन्द्रिय और संज्ञी पंचेन्द्रिय- इन सात के पर्याप्त और अपर्याप्त।
जीव के 563 भेद- चौदह नारकी, अड़तालीस तिर्यंच, तीन सौ तीन मनुष्य और एक सौ अट्ठाणु देवता।