शंका - क्या चार वक्त (काल) आहार छोड़े वह चउत्थभत्त - चतुर्थ भक्त है?
समाधान - 'चउत्थभत्तमिति उपवासस्य संज्ञा' चतुर्थ भक्त उपवास की संज्ञा है। 'चउत्थभत्त' शब्द का अर्थ टीकाकार ने इस प्रकार लिखा है -
"चउत्थं चउत्थेणं, ति चतुर्थभक्तं यावद् भक्तं त्यज्यते, यत्र तच्चतुर्थम् इयं चोपवासस्य संज्ञा, एवं षष्ठादिकमुपवासद्वयादेरिति।"
अर्थ - जिस तप में चार टंक का आहार छोड़ा जाय, उसे 'चउत्थभत्त' - चतुर्थ भक्त कहते हैं। यह 'चतुर्थ भक्त' शब्द का शब्दार्थ (व्युत्पत्त्यर्थ) है किन्तु 'चतुर्थ भक्त' यह उपवास का नाम है। उपवास को चतुर्थ भक्त कहते हैं। अतः चार टंक का आहार छोड़ना यह अर्थ नहीं लेना चाहिए। इसी प्रकार षष्ठ भक्त, अष्ट भक्त आदि शब्द - बेला, तेला आदि की संज्ञा है। शब्दों का व्युत्पत्यर्थ व्यवहार में नहीं लिया जाता है, किन्तु रूढ़ (संज्ञा) अर्थ ही ग्रहण किया जाता है। चउत्थभत्त शब्द भी उपवास, अर्थ में रूढ़ है अतः 'चार टंक आहार छोड़ना यह 'चउत्थभत्त' शब्द का व्युत्पत्त्यर्थ व्यवहार एवं प्रवृत्ति में नहीं लिया जाता हैं। चार टंक आहार छोड़ना ऐसा 'चउत्थभत्त' शब्द व्यवहार में अर्थ लेना आगमों से विपरीत है। अतः 'चउत्थभत्त' यह उपवास की संज्ञा है - सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन सूर्योदय तक आठ प्रहर आहार छोड़ना उपवास है।
चार भक्त - चार वक्त (काल) आहार त्याग का यहां आशय नहीं हैं क्योंकि एकांतर करने वाले पारणे के दिन सुबह पहले दिन का छोड़े, शाम का अगले दिन के हिसाब से छोड़े। इस प्रकार तो भोजन ही नहीं कर सकेंगे।
चार टंक आहार छोड़ने पर भी चउत्थभत्त कह सकते हैं और पारणे धारणे में एक-एक टंक न छोड़ कर उपवास करने को भी 'चउत्थभत्त' कहते हैं क्योंकि चउत्थभत्त, छठ भत्त और अट्ठम भत्त आदि नाम क्रमशः उपवास, बेले और तेले के हैं।
भगवान् ऋषभदेव को ६ दिन का संथारा आया, उसे जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति में चौदह भक्त का संथारा कहा है। इसी तरह भगवान् महावीर स्वामी के बेले के संथारे को छठ-भक्त कहा है। उनके तो कोई पारणे का प्रश्न ही नहीं था तो भी उनको उपरोक्त भक्त ही बताया है। कृष्णवासुदेव ने देवकी के पास से पौषधशाला में जाकर गजसुकुमाल जी के लिए तेला किया। इसी प्रकार अभयकुमार ने दोहद-पूर्ति के लिए तेला किया। धारणे के दिन एक टंक न करने पर भी उसे अट्ठमभत्त की कहा है तथा भगवती सूत्र में दो दिन के आयंबिल को भी आयंबिल छठ कहा है। इत्यादि प्रमाणों से स्पष्ट है कि उपवास, बेला आदि के नाम ही चउत्थ भक्त, छट्ट भक्त आदि है।