श्वास के साथ नवकार मन्त्र जाप

श्वास के साथ महामंत्र जाप - मन में जपें। णमो अरहंताणं - श्वाँस लेते समय। णमो सिद्धाणं - श्वाँस छोड़ते समय । णमो आयरियाणं - श्वाँस लेते समय । णमो उवज्झायाणं - श्वाँस छोड़ते समय । णमो लोए - श्वास लेते समय । सव्वसाहूणं - श्वाँस छोड़ते समय ।

श्वास के साथ नवकार मन्त्र जाप

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श्वास के साथ नवकार मन्त्र जाप

श्वाँस और मन का गहरा सम्बन्ध है। सत्य की खोज - नियमों की खोज यह व्यक्ति की जिज्ञासा है, प्रकृति है। श्वाँस का सम्बन्ध प्राण से है, प्राण का सम्बन्ध शुद्ध प्राण से है। श्वास एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण माध्यम है। श्वाँस एक ऐसा सेतु है जिसके द्वारा नाड़ी संस्थान मन, प्राणशक्ति तक पहुँच सकते हैं। श्वाँस को छोटा न समझें, यह इतना महत्त्वपूर्ण है, इसलिए किसी ने कहा भी है, श्वास को देखा तो जीना सीखा।

श्वाँस केन्द्र बिंदु है, नींव का पत्थर है, श्वाँस सबकुछ है। 'मन' को हम पकड़ नहीं पाते, स्वभाव को बदलना चाहते हैं, नहीं बदल पाते। श्वास को पकड़ो, आलंबन बनाओ देखों चंचलता मिटाने का रास्ता मिल जायेगा। समता साधने में, सामायिक की आराधना में 'स्वर' श्वाँस ही महत्त्पूर्ण है। संतुलन साधने में, शांतिपूर्ण जीवन जीने में, अध्यात्म में, विकास करने में, स्वभाव बदलने में, जगत का स्वरुप समझने में, ममता और अहंकार का विसर्जन करने में श्वाँस का उपयोग करना जानेंगे तो सहजता आयेगी।

श्वास-प्रश्वास की क्रिया समझना जरुरी है। 'प्राणायाम' को समझना जरुरी है। प्राणायाम का नियमित अभ्यास करना और श्वाँस पर भी ध्यान देना चाहिए। 'नमस्कार' महामंत्र का जाप श्वाँस-प्रश्वास की गति के साथ करने से एकाग्रता अच्छी होती है।


श्वास के साथ महामंत्र जाप - मन में जपें
णमो अरहंताणं - श्वाँस लेते समय
णमो सिद्धाणं - श्वाँस छोड़ते समय
णमो आयरियाणं - श्वाँस लेते समय
णमो उवज्झायाणं - श्वाँस छोड़ते समय
णमो लोए - श्वास लेते समय
सव्वसाहूणं - श्वाँस छोड़ते समय

इस विधि से नमस्कार महामंत्र करने से मन शांत होता है, एकाग्रता भी अच्छी होती है। माला भी इसी प्रकार मन में श्वाँस के जाप साथ फेरने से पूरी माला में ३२४ श्वाँसप्रश्वास का परावर्तन होता है। योगशास्त्रीय गणना के अनुसार एक व्यक्ति एक दिन में इक्कीस हजार, छह सौ श्वास-प्रश्वास लेता है।

बने अर्हम पुस्तक (लेखक अलका सांखला) से साभार

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