नवकार मन्त्र

नवकार मन्त्र - नमो अरिहंताणं । नमो सिद्धाणं । नमो आयरियाणं । नमो उवज्झायाणं । नमो लोए सव्वसाहूणं । एसो पंच नमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ।।

नवकार मन्त्र

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॥ नमस्कार महामंत्र॥


नमो अरिहंताणं । नमो सिद्धाणं । नमो आयरियाणं । नमो उवज्झायाणं । नमो लोए सव्वसाहूणं । एसो पंच नमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ।।


नमस्कार महामंत्र नवकार मंत्र जैन परम्परा का महामंत्र माना जाता है। जैन शासन में आज तक अनेक सम्प्रदाय बने, शाखा-प्रशाखाएँ निकली। उत्तर कालीन जैन साहित्य में घोर पक्षापक्षी की झलक आयी, हर सम्प्रदाय का अपना कुछ अलग है परन्तु नमस्कार महामंत्र की निर्विकल्प आस्था पर कोई असर नहीं आया।


इसके अर्थ व भाव से यह किसी भी धर्म या संप्रदाय का अपना महामंत्र माना जा सकता है। नमस्कार महामंत्र के शब्दों का संगठन अत्यंत प्रभावशाली है। नमस्कार महामंत्र जैसे सर्व-शक्ति सम्पन्न मंत्र, धरातल पर विरल है। यह एक श्रेष्ठ मंत्रों में एक है। परम उपकारी यह मंत्र सब पापों का नाश करनेवाला है। सब मंगलों में प्रथम मंगल है।

नवकार मंत्र जिनशासन का सार है। चौदह पूर्व से इसका समुद्धार हुआ है। जिसके मन में नवकार है, उनका कभी अनिष्ट नहीं हो सकता। नमस्कार महामंत्र केवल जैन परम्परा को मानने वालों के लिए ही श्रेयस्कर हो, ऐसा नहीं है। यह सभी के लिए समान रुप में लाभप्रद है। मंत्र जैन-अजैन नहीं होता। 'मंत्र' मंत्र होता है। उसके सामर्थ्य का उपयोग कोई भी करना चाहे, तो उसे निश्चित सफलता मिलती है। जाति, लिंग, भाषा आदि उसमें बाधक नहीं बनते। नमस्कार महामंत्रसद्धर्म और सद्कर्म का सार है।

नमस्कार महामंत्र सब मंत्रों का स्रोत है और इसमें समस्त ऋद्धियां निहित है। नमस्कार महामंत्र अपराजित मंत्र है। इसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। यह अनुपम है, जगत प्रसिद्ध है और जगत वंदनीय है। नमस्कार महामंत्र दुःख को हरण करता है, सुख की प्राप्ति करता है।

मंत्र अपने आप में रहस्य होता है, किन्तु नवकार महामंत्र तो परम रहस्य है, बल्कि रहस्यों का रहस्य है। नमस्कार महामंत्र परममंत्र, परम रहस्य, परम से भी परम तत्व है, परमज्ञान, परमज्ञेय है शुद्ध ध्यान है, शुद्ध ध्येय है।

मंगल भावनाओं तथा शुभ संकल्पों से युक्त शब्दों के सतत उच्चारण तथा चिंतन से नयी शक्ति का निर्माण होकर यह मंत्र बन जाता है। नमस्कार महामंत्र आचार में बहुत छोटा है, परन्तु उपलब्धियों तथा संभावनाओं का खजाना है। मौलिकता यह है कि मंत्र चाहे जो हो, वह जीवन से जुड़ना चाहिए।जब तक मंत्र जीवन से जीवन की अवस्थाओं से नहीं जुड़ता तब तक वह जीवन्त मंत्र नहीं बनता।


बने अर्हम पुस्तक (लेखक अलका सांखला) से साभार 


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