नमस्कार महामंत्र का स्वरुप

मूल पदों का या यह महामंत्र, पैंतीस अक्षरों का बना है। चार महिमा के पदों के साथ नवपद और अड़सठ अक्षर हो जाते हैं। इनकी नौ सम्पदाएं हैं। नमस्कार महामंत्र के पहला पद - ७, दूसरा पद – ५, तीसरा पद - ७, चौथे पद - ७, पांचवे पद के - ९ सब मिलाकर ३५ अर्थात् पांच पद परमेष्ठि है।

नमस्कार महामंत्र का स्वरुप

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नमस्कार महामंत्र का स्वरुप

नमो अरिहंताणं । नमो सिद्धाणं । नमो आयरियाणं । नमो उवज्झायाणं । नमो लोए सव्वसाहूणं । एसो पंच नमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ।।

मूल पदों का या यह महामंत्र, पैंतीस अक्षरों का बना है। चार महिमा के पदों के साथ नवपद और अड़सठ अक्षर हो जाते हैं। इनकी नौ सम्पदाएं हैं। नमस्कार महामंत्र के पहला पद - ७, दूसरा पद – ५, तीसरा पद - ७, चौथे पद - ७, पांचवे पद के - ९ सब मिलाकर ३५ अर्थात् पांच पद परमेष्ठि है।

इस तरह कुल १०८ मनकों की माला का जप किया जाता है। १०८ गुण पाँच पदों की वंदना में अलग अलग बताये गये हैं।

यह नमस्कार महामंत्र सब पापों का नाश करने वाला और सब मंगलों में प्रथम मंगल है।

णमोकार मंत्र को महामंत्र कहने का कारण यही है कि इसमें पंच परमेष्ठी को नमस्कार किया है, परमेष्ठी किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं, जिनकी साधना सिद्धि तक पहुंच चुकी है अथवा साधना पथ पर आरुढ़ हैं वे परमेष्ठी हैं। यहाँ व्यक्ति विशेष नहीं व्यक्ति के गुणों की पूजा है। इस मंत्र द्वारा आध्यात्मिक विकास होता है। आत्मजागरण का यह मंत्र है। भौतिक कामना पूर्ति के लिए अनेक मंत्र है, परंतु कामना पूर्ति के बदले कामना समाप्त करने वाला यह मंत्र है, इसलिए यह महामंत्र है। सब मंगलों में मंगल और सब पापों का नाश करने वाला है।

दशवैकालिक में सूत्र है- 'धम्मो मंगल मुक्किट्ठं धर्म सर्वोत्कृष्ट मंगल है। धर्म यानी आत्मा में रहना। आत्मा से बाहर, अमंगल है। णमोकार मंत्र आत्मा के निकट रहने का मंत्र है। इसलिए यह मंत्र सब मंगलों में प्रधान मंत्र है।

दैनिक चर्या के साथ महामंत्र का जाप कब करना है?

श्रावक चर्या के बारे में आज तक अनेक ग्रंथ लिखे गये हैं। उन सभी ग्रंथों में श्रावक का प्रत्येक दैनिक क्रम इस महामंत्र से प्रारंभ हो।

१) शय्या त्याग करके तुरंत महामंत्र का उच्चारण करें।

२) स्नानादि आवश्यक क्रिया के बाद एकान्त में पूर्ण मालाजाप।

३) स्वाध्याय, अध्ययन शुरु करने से पूर्व महामंत्र का स्मरण।

४) सामायिक पाठ बोलने से पूर्व और पश्चात् महामंत्र का जाप।

५) कोई पूजा, धार्मिक विधि, नया काम शुरु करने से पहले जाप।

६) नाश्ता खाने के पहले महामंत्र का उच्चारण करना न भूलना।

७) रात को शय्या पर जाते ही महामंत्र का स्मरण कर नींद ले।

८) यात्रा, घर के बाहर जाने से पहले मंत्र का स्मरण करें।

९) जन्म, मृत्यु, विवाह सभी संस्कारों के आरम्भ और समापन में न.म. जाप करें।

१०) भय, चिंता, संकट, कलह, संयम के समय मंत्र जाप करें।

११) नये घर में प्रवेश, दुकान का मुहूर्त सविधि महामंत्र जाप।

१२) हर त्यौहार के दिन, प्रतिक्रमण के पूर्व परीक्षा के समय जाप।

१३) अपना आत्मविश्वास बनाये रखने के लिए नित्य जाप।

बने अर्हम पुस्तक (लेखक अलका सांखला) से साभार

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