।। रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं चेव ।।
।। पक्खालिज्जमाणस्स णत्थि सोही ।।
रक्त-सना वस्त्र रक्त से ही धोया जाये तो वह शुद्ध नहीं होता आग को आग से नहीं बुझाया जा सकता। कुत्ता यदि हमें काट खाये; तो इसका उपचार यह नहीं हो सकता कि हम भी कुत्ते को काट खायें। इसी प्रकार गाली का बदला गाली से या मारपीट का बदला मारपीट से नहीं चुकाया जा सकता। हम सब अच्छी तरह से यह जानते हैं कि क्रोध को क्रोध से शान्त नहीं किया जा सकता। यदि सामने वाला क्रोध कर रहा हो और हम भी उससे क्षुब्ध हो कर क्रोध करें तो इससे उसका क्रोध और भी भड़क उठेगा-शान्त होने की तो बात ही क्या? हम शान्ति, प्रेम और सहिष्णुता के बल पर ही दूसरे का क्रोध शान्त कर सकते हैं। यही बात मार-पीट एवं हत्या के लिए भी कही जा सकती है, जो क्रोध के ही परिणाम-स्वरूप होती है। ऐसे स्थान पर विशेष प्रेम, सहानुभूति एवं धैर्य का परिचय देना होता है। जो साधक इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाता है; वही दूसरों को प्रभावित कर सकता है। वह जानता है कि मारपीट के बदले मारपीट करना उपचार नहीं है – खून का दाग़ खून से नहीं धुलता !
- ज्ञाताधर्म कथा 1/5