शहद आयुर्वेदक चिकित्सा-पद्धतिका महत्वपुर्ण तत्व है। इसके बिना आयुर्वेदिक औषोधोपचार अधूरा माना गया है। प्रकृति में जो विविध पुष्प-रस भरा पड़ा है, मधुमक्खी फुलों से विभिन्न प्रक्रियाओं से उसे प्रशोधनकर शहद के रूप में तैयार करती है।
शुद्ध शहद की पहचान
शहद आदिकाल से ही मधुर द्रव्य का प्रतिनिधि रहा है। इसके प्रयोग से ही इसकी उपयोगिता एवं औषधीय गुणों की जानकारी होती है। शहद में कई तत्व विद्यमान है। इसमें ग्लूकोज तथा फ्रकटोज पर्याप्त मात्रा में होता है। शुद्ध शहद पानी में अपने-आप नही घुलता, जब कि चीनी थोडी ही देर मेे स्वतः ही घुल जाती है। यह शहद की सामान्य पहचान है। जो शहद जितना गाढ़ा होगा, उसमें नमी कि जितनी कमी होगी, शुद्धता की दृष्टिसे वह उतना ही अच्छाा माना जाता है। शहद ठंड में जम जाता है और गर्मीसे स्वतः ही पिघलने लगता है।
शहद की ऋतु विशेष, वनस्पति या पुष्प विशेष के रूप में भी पहचान की जाती है। हिमालय का कार्तिक-मधु औषधि गुणों से भरपूर है। इस ऋतु का शहद जमने पर सफेद दाने दार तथा सुगन्धित होता है। इसको खाने से गले में हल्की मिर्च जैसा स्वाद लगता है, यह कम मिलता है। फाल्गुन-चैत्र में तैयार होने वाला सरसों के फूलों का शहद भी इसके समान होता है। वैशाख और ज्येष्ठ मास का लाल रंग का होता है। कहीं-कहीं स्वाद में कड़वा होता है। इस शहद का अधिक प्रयोग करने से यह शरिर में गर्मी दिखाता है। कई बार इससे पेचिश भी लग जाती है।
शहद की अपनी तासीर गर्म होती है। खासकर जिस समय शहद छत्ते से निकालते हैं, उस समय इसका प्रभाव गर्म होता है। धीरें-धीरें इसका प्रभाव सामान्य होता है। शहद का विशेष गुण यह भी है कि गरम पानी में लेने से गरम तथा शितल पानी में मिलाकर उपयोग करने से ठंडा होता है।
शहद के विशेष लाभकारी प्रयोग
- प्रातः और सायः गरम पानी मे मिलाकर शहद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है।
- आँखो में एक बूद प्रतिदिन डालने से आँख की ज्योति बढ़ती है तथा आँख की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- चेचक कें दाग शहद और नीबू के रस से हल्के किये जा सकते है। इन्हे मिलाकर दाग पर लगाया जा सकता है, जिससे चहरे की कान्ति लोट आती है।
- नवजात शिशुको जन्म के तत्काल बाद शहद चटाने से बच्चा नीरोगी हो जाता है।
- गर्मिंयों मे शहद की शिकंजी, जिसमें एक बडे़ गिलास में दो चम्मच शहद और एक-दो बूँद नीबू का रस मिलाकर पीने से शरीर को तत्काल उर्जा मिलती है और इससे पेशाब भी खुलकर होती है।
- शहद कटे, फोडे-फुंसियोंपर एंटीसैप्टिक रोग-निरोध का काम करता हैं।
- अदरक या तुलसी के रस को चम्मच में गर्म कर उसमें शहद मिलाकर उपयोग करने पर यह योग खाँसी जुकाम में रामबाण प्रमाणित होता है।
- केवल शहद खाने से भी फायदा होता है। शहद मुँह में रखते ही तत्काल घुलकर शरीर में सीधे उर्जा देता है।
- जितनी जल्दी शहद पचता है, उतना जल्दी कोई अन्य पदार्थ नही पचता।
- अनुपान कें रूप मे शहद का सेवन करने से औषध की शक्ति बढ़ जाती है।
केवल शहद नित्य सेवन करने से दिल एवं दिमागं को शक्ति देता है। तथा दीर्घ जीवन प्रदान करता है। इसलिये शहद को एक अर्थ में अमृत कहा जाता है। ज्यादा पुराना शहद अपना स्वाद, गुण एवं रंग खो देता है। इसलिये ताजे शहद का प्रयोग ही अधिक करना चाहिए। शहद बनाने वाली विभिन्न जाती कि मधुमक्खियाँ, सारंग, एपिस मैलिफैरा भी हैं। गुणकारी तथा सुस्वादु शहद अपनी देशी मक्खी ही बनाती है। शहद का सेवन विशेष कर बच्चों और बुढोंको अधिक करना चाहिये।
कल्याण पत्रिका से साभार