स्वयं सत्यान्वेषण करना चाहिये
कहावत है – ‘‘मुण्डे मुण्डे मतिर्भिना’’ अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति की बुद्धि अलग-अलग होती है, इसलिए प्रत्येक के विचार भी अलग-अलग होते हैं| सब लोग अपने-अपने विचारों की सच्चाई का दावा करते हैं| सबके विचार क्रमशः हमारे सामने आते हैं और हमें सम्भ्रम में डाल देते हैं| कभी हमें एक के विचार सच लगते हैं – कभी दूसरे के। ऐसी अवस्था में सच्चाई का निर्णय कैसे किया जाये ? बड़ा ही जटिल प्रश्न है! भगवान महावीर ने इसका सरलतम समाधान इस छोटी-सी उत्तम सूक्ति के द्वारा प्रस्तुत किया है – स्वयं सत्यान्वेषण करो ! दूसरे कौन हैं ? वे क्या-क्या कहते हैं ? इसका विचार किये बिना स्वयं सच्चाई की खोज करो। दूसरों के कथन पर आँख मूँद कर विश्वास करनेवाले अन्धविश्वासी हैं – वे अवश्य धोखा खायेंगे| जितना भी संसार में पीला-पीला है, वह सब सोना (स्वर्ण) नहीं है- वह पीतल भी हो सकता है; इसलिए स्वयं सोचो और सच्चाई का निर्णय करो – अपने अनुभव से सच्चाई खोजो ! - उत्तराध्ययन सूत्र 6/2