अमृत धारा के चमत्कारिक उपयोग
आज से लगभग 30-40 वर्ष पूर्व “अमृतधारा” बड़ी प्रचलन में थी। वर्तमानपीढ़ी एसे भूल गई है। यह एक कईरोगों की दवा है।
अमृत धारा के विविध प्रयोग
अमृतधारा कई बीमारिया मे दी जाती है, जेसे बदहजमी, हेजा और सिर दर्द।
थोड़े से पानी मे तीन चार बुँदे अमृतधारा की डालकर पिलाने से बदहजमी, पेट, दर्द, दस्त, उल्टी ठीक हो जाती है। चक्कर आने भी ठीक हो जाते है।
एक चम्मच प्याज के रस मे दो बूंद अमृतधारा डालकर पीने से हेजा मे फायदा होता है।
अमृतधारा की दो बून्द ललाट और कान के आस पास मसलने से सिर दर्द मे फ़ायदा होता है।
मीठे तेल मे अमृतधारा मिलाकर छाती पर मालिश करने से छाती का दर्द ठीक हो जाता है।
सूंघने पर सास खुलकर आता हे तथा जुकाम ठीक हो जाता है।
थोड़े से पानी मे एक दो बूंद अमृतधारा छालो पर लगाने से फायदा होता है।
दांत दर्द मे अमृतधारा का फाया रखकर दबाये रखने से राहत मिलती है।
चार पाँच बूंदे अमृतधारा ठंडे पानी मे डालकर सुबह शाम कुछ दिन पीने से सास, खासी, दमा और क्षय रोग मे फ़ायदा होता है।
आवले के मुरब्बे मे तीन चार बुँदे अमृतधारा डालकर खिलाने से दिल के रोगों मे राहत मिलती है।
बताशे मे दो बून्द अमृतधारा डालकर खाने से पेट के दर्द मे आराम मिलता है।
भोजन के बाद दोनों वक़्त ठंडे पानी मे दो तीन बूंदे अमृतधारा डालकर पीने से मन्दाग्नि, अजीर्ण, बादी, बदहजमी एवं गेस ठीक हो जाती है।
दस ग्राम गाय के मक्खंन और पाच ग्राम शहद मे तीन बुँदे अमृतधारा मिलकर खाने से शरीर की कमजोरी मे फ़ायदा होता है।
अमृतधारा की एक दो बूंदे जीभ मे रखकर मुह बंद करके सूँघने से चार मिनट मे ही हिचकी मे फ़ायदा होता है।
दस ग्राम नीम के तेल मे पाच बूंद अमृतधारा मिलाकर मालिश करने से हर तरह की खुजली मे फ़ायदा होता है।
ततेया, बिच्छू, भवरा या मधुमक्खी के काटने के जगह पर अमृतधारा मसलने से दर्द मे राहत मिलती है।
दस ग्राम वेसलिन मे चार बून्द अमृतधारा मिलाकर शरीर के हर तरह के दर्द पर मलिश करने से दर्द मे फ़ायदा होता है। फटी बिवाई और फटे होठों पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता हे तथा फटी चमड़ी जुड़ जाती है।
अमृतधारा आज भी कई घरो में प्रयोग में लाइ जाने वाली दवाओ में से एक है।
कल्याण से साभार