ईशान आग्नेय वायव्य नैऋत्य कोण

वास्तु अनुसार ईशान आग्नेय वायव्य नैऋत्य कोण और उसके प्रभाव

ईशान आग्नेय वायव्य नैऋत्य कोण

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वास्तु अनुसार ईशान आग्नेय वायव्य नैऋत्य कोण और उसके प्रभाव


ईशान कोण

घर का उत्तर-पूर्व कोण वास्तु के अनुसार हर घर का ईशान कोण सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। यहां पर कभी भी कुड़ा करकट इकठा नहीं होने देना चाहिए, न ही यहां पर कभी झाडू रखना चाहिए। यह घर में पूजा के लिए एक उपयुक्त स्थान है। इसकी बच्चों की एजुकेशन का कौरनर भी माना जाता है। अगर बच्चे इस स्थान पर बैठकर पढ़ाई करते हैं, तो उनकी विशेष लाभ तथा अधिक सफलता प्राप्त होती है। ईशान कोण में घर का मुख्य द्वार भूमिगत पानी की टकी, नल लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इस स्थान का फर्श नीचा रखना चाहिए, और इस स्थान में कभी भी सीढियाँ नहीं होनी चाहिए। ईशान कोण के अंदर, उच्चा चबूतरा बनाना प्रवास तौर से वर्जित है।


आग्नेय कोण

दक्षिण पूर्व के कोण में बिजली का मीटर, जनरेटर आदि लगाना अथवा रखना शुभ माना जाता है। इस कोण में आग जितनी अधिक जलती है, उतनी ही शुभ होती है। इस कोण में भूलकर भी कभी भूमिगत पानी की टकी नल की बोरिंग नहीं करानी चाहिए।

वायव्य कोण

उत्तर-पश्चिम कोण। वायव्य कोण में लड़कियों तथा मेहमानों का कमरा बनाना शुभ होता है। इस कोण में सैफटिक टैंक बनाने का सब से उपयुक्त स्थान है। कुआँ, नल इस कोण में नहीं बनाना चाहिए।

नैऋत्य कोण

दक्षिण - पश्चिम कोण। इस कोण को घर का सबसे भारी कोण माना जाता है। इस कोण में स्टोर, घर का भारी सामान या घर के मुखिये का शयन-कक्ष होना चाहिए। घर का जितना भी भारी सामान इस कोण में रखें उतना ही आपके लिए शुभ है। इस कोण गे ओवरहैड पानी की टंकी शुभ होती है। इस कोण में भूमिगत पानी की टकी, बोरिंग बनाना चाहिए। इस कोण के अन्दर सैफटिक टैंक बनाना या मुख्य द्वार बनाना बहुत अशुभ होता है। इस कोण को हमेशा ऊचा रखें।

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